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उत्तर जीवन कथा |
भूमिका
***आइडिया राजेन्द्र यादव का था, चुनाव मेरा। सम्पादक लिखने के लिए लेखक से अनुरोध कर सकता है, आग्रह कर सकता है, दवाव भी डाल सकता है, पर वाध्य नहीं कर सकता। और आइडिया कोई खास अच्छा नहीं था। अपनी मौत की कल्पना करके लेखक अपने बारे में क्या लिखेगा ? जरा-सा इधर हुआ तो आत्मश्लाघा और जरा-सा उधर हुआ तो आत्मदया ! मैंने सोचा देखें मैं इस आइडिया के साथ एक कहानीकार की तरह खेल सकता हूं या नहीं? लिखने बैठा तो लगा और कुछ न भी हो, कल्पना की अच्छी मश्क हो जाएगी ! सो हुई। और जैसी कि बदनामी है- इसके बहाने भी अपनी बात कह ही गये ! सहृदय पाठक विचार योग्य अंश ग्रहण कर लेंगे, शेष को शरारत मानकर मुस्करा देंगे - यही आशा करता हूं।
राजपुरा दरीबा खान जि० उदयपुर (राजस्थान)
- स्वयं प्रकाश
Published by Parimal Prakashan (1993)
Prayagraj
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