केदारनाथ अग्रवाल की कविता में लोक - जीवन के रंग | Kedarnath Agrwal Ki Kavita Me Lok-Jeevan Ke Rang | By Parimal Prakashan Contact No:-8299381926


 

Kedarnath Agrwal Ki Kavita Me Lok-Jeevan Ke Rang
ISBN-978-81-950046-3-8
                                                                        आभार
 विश्वविद्यालय अनुदान आयोग पूर्वी क्षेत्रीय कार्यालय , कोलकाता द्वारा स्वीकृत केदारनाथ अग्रवाल की कविता में लोक - जीवन के रंग विषयक लघु शोध परियोजना के पूर्ण होने पर मैं अत्यंत हर्षित हूँ । केदारनाथ अग्रवाल पर चिंतन - मनन के साथ - साथ शोध करना मेरे जीवन का लक्ष्य था और यह पूर्ण हुआ । विश्वविद्यालय अनुदान आयोग , कोलकाता के प्रति मैं हार्दिक आभार प्रकट करता हूँ जिसकी प्रेरणा और सहयोग से यह महत्त्वपूर्ण कार्य सम्पन्न हुआ है । संत कोलंबा महाविद्यालय , हजारीबाग के प्राचार्य डॉ ० ( रेव ० ) सुशील कुमार टोप्पो जी की अभिप्रेरणा और आत्मीय बोध से इस मार्ग में आगे बढ़ने का संबल प्राप्त हुआ है इस हेतु मैं उन्हें भी हार्दिक आभार ज्ञापित करता हूँ । महाविद्यालय और विश्वविद्यालय के प्राध्यापक - शिक्षकेत्तर के उत्साहवर्द्धन से तथा हिंदी विभाग के सहयोगियों के सकारात्मक सुझाव से इस परियोजना को पूर्ण करने में मुझे सफलता प्राप्त हुई है । अतः मैं हृदय से उन सब के प्रति आभार प्रकट करता हूँ । इस शोध परियोजना को पूर्ण करने में देश और राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से मेरे मित्रों ने बहुमूल्य सुझाव दिए , पत्र - पत्रिकादि और पुस्तकों के साथ सारगर्भित चर्चा की इसके लिए मैं उन सब के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करता हूँ । जिन लेखकों और विचारकों की कृतियों का इस शोध परियोजना के पूर्ण होने में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अवधारणामूलक सहयोग प्राप्त हुआ है उनके प्रति शत - शत नमन और हृदय से आभार समर्पित करता हूँ । मेरे माता - पिता , भाई - बहन , पत्नी और बच्चे जिन्होंने पल - पल प्रेरणा दी वह भी इस शोध की पूर्णता के सहायक अंश हैं । डॉ . अजय कुमार वर्मा के प्रति मैं हृदय से आभार प्रकट करता हूँ । 
जिनकी प्रेरणा , सकारात्मक सुझाव और लंबी परिचर्चा से मुझे इस शोध को पूर्ण करने में काफी सहायता मिली है । श्री अंकुर शर्मा , परिमल प्रकाशन , प्रयागराज के प्रति विशेष आभारी हूँ जिन्होंने अहर्निश सेवा प्रदान कर मुद्रण 
( प्रकाशन ) की अपनी जिम्मेदारी पूर्ण की और ससमय कार्य संपादित किया । प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से सभी लौकिक और अलौकिक शक्तियों से आंतरिक प्रेरणा प्राप्ति के लिए मैं उनके प्रति विनम्र आभारी हूँ ।
                                                                                        
                                                                                                    ( डॉ . सुनील कुमार दुबे )

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